नरवर दुर्ग अनुक्रम भौगोलिक...


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नरवर दुर्ग

नलपुर किला

Narwar fort.jpg
Narwar Fort

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सामान्य विवरण
प्रकार
दुर्ग
वास्तुकला शैली
Rajput and Mughal
स्थान
नरवर, शिवपुरी जिला, मध्य प्रदेश
पता
नरवर, जिला - शिवपुरी (म.प्र.)
निर्माणकार्य शुरू
महाभारत काल
निर्माण सम्पन्न
१०वीं शताब्दी, कछवाहा राजपूत
ग्राहक
राजा नल
Landlord
राजानल
ऊँचाई
500ft
योजना एवं निर्माण
वास्तुकार
Ancient
सिविल अभियंता
Unknown

नरवर दुर्ग मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के नरवर में विन्ध्य वर्वतमाला की एक पहाड़ी पर स्थित है। इसकी ऊँचाई भूस्तर से लगभग ५०० फीट है और यह लगभग ८ वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। कहा जाता है कि १०वीं शताब्दी में जब कछवाहा ने नरवर पर अधिकार किया । दुर्ग का निर्माण (पुनर्निर्माण) किया।  कछवाहों के बाद यहां परिहार और फ़िर तोमर राजपूतों का आधिपत्य रहा और अन्ततः यह १६वीं शताब्दी में मुगलों के अधीन आ गया। कालान्तर में १९वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां मराठा सरदार सिन्धिया ने अधिकार किया।आल्हा कााव्यं मे नरवर गढ़ को मोहरम गढ भी कहा गया हे।जहा के राजा मोतीमल बघेल का नाम का राजा का जिक्र हे।




अनुक्रम






  • 1 भौगोलिक स्थिति


  • 2 इतिहास


  • 3 पौराणिक सन्दर्भ


  • 4 चित्र दीर्घा


  • 5 सन्दर्भ


  • 6 इन्हें भी देखें


  • 7 बाहरी सूत्र





भौगोलिक स्थिति


इस दुर्ग के पूर्वी ओर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर लंबवत् एक दूसरा पहाड़ है, जिसे हजीरा पहाड़ कहते है, क्योंकि इसके पश्चिमी भाग के शिखर पर दो कलात्मक हजीरा निर्मित हैं। दुर्ग के दक्षिण–पश्चिम एवं उत्तर में लगी हुई सिंध एवं पूर्व से अहीर नदी ने चारो ओर से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान कर दी है। नरवर दुर्ग में अनेक हिंदू मंदिर निर्मित है।



इतिहास


नरवर का किला बुंदेलखंड में पहले एवं मध्य भारत के ग्वालियर किले के बाद दूसरे नंबर का है। नरवर दुर्ग नाग राजाओं की राजधानी था। यहां ९ नाग राजाओं ने राज किया। ये राजा इस प्रकार से थे:



  • भीम नाग (57–82ई.)

  • खुर्जर नाग (82–107ई.)

  • वत्स नाग (107–132ई)

  • स्कंधनाग (132–187)

  • बृहस्पति नाग (187–202ई.)

  • गणपति नाग (202–226ई.)

  • व्याग्र नाग (226–252ई.)

  • वसुनाग (252–277)

  • देवनाग (277–300ई.)


इनके बाद समुद्र गुप्त ने नाग राजाओं पर आक्रमण किया एवं इस वंश को समाप्त कर किले को अधीन किया। इस बारे में इलाहाबाद स्तंभ में उल्लेख मिलते हैं।



पौराणिक सन्दर्भ


महाभारत कालीन नरवर का उल्लेख श्री हर्ष रचित नैषिधीयचरितम् में निषध नगर या निषध देश के नाम से विस्तारपूर्वक मिलता है। प्रसिद्ध संस्कृत सूक्ति - [1] नरवर (तत्कालीन नलपुर) के राजा नल द्वारा अपनी पत्नी दमयन्ती को कही गयी। नरवर का किला भारतीय किलों की शान और अत्यन्त प्राचीन व सबसे सुरक्षित किला माना जात है। विदेशी यात्री टिफिनथलर ने नरवर किले की सुरक्षा के बारे में वर्णन करते हुए लिखा है कि - "नरवर किले को जीत पाना बेहद दुष्कर है। सुरक्षा के दृष्टि से इसका कोई जवाब नहीं"। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व भी रहा है और इसे १२वीं शताब्दी तक नालापुरा के नाम से जाना जाता था। इस महल का नाम राजा नल के नाम पर रखा गया है जिनके और दमयंती की प्रेमगाथाएं महाकाव्य महाभारत में पढ़ने को मिलती हैं।[2]



चित्र दीर्घा




सन्दर्भ














  1. चउओते।मितं च सारं च वचो हि वागमिता॥


    — नैषिधीयचिरतम् (सरग - ९)





  2. किला, शिवपुरी




इन्हें भी देखें



बाहरी सूत्र













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