उत्पन्ना एकादशी...

Multi tool use
Multi tool use

गणेश चतुर्थीवसन्त पञ्चमीमकर संक्रान्तिमहाशिवरात्रिहोलीराम नवमीहरछठ जन्माष्टमीचकचंदाहर‌ियाली तीजरक्षाबन्धननवरात्रिदशहरादुर्गा पूजाकरवा चौथअहोई अष्टमीधनतेरसनर्क चतुर्दशीदीपावलीगोवर्धन पूजाभाई दूजछठ पूजासूर्य जन्मोत्सवओणमपोंगलरथयात्राअराणमुला नौका दौड़त्रिचूरपूरमविषुक्कणिकारतीगई दीपमउगादिविशाखा उत्सवतिरुवतिराअमावस्यामौनीसोमवतीप्रदोषअनंत चतुर्दशीअक्षय तृतीयासत्य नारायण कथापितृ विसर्जन अमावस्याअक्षय नवमीहरतालिका व्रतऋषिपंचमीचैत्र (हनुमान जयंती)वैशाख (बुद्ध जयंती)ज्येष्ठ (वट सावित्री)आषाढ़ (गुरू-पूर्णिमा)श्रावण पूर्णिमाभाद्रपद पूर्णिमाआश्विन (शरद पूर्णिमा)कार्तिक पूर्णिमाअग्रहण्य पूर्णिमापौष पूर्णिमामाघ (माघ मेला) फाल्गुन (होली)


Infobox holiday with missing fieldMoveable holidays (to check)Infobox holiday (other)संस्कृतिहिन्दू त्यौहारएकादशी



























उत्पन्ना एकादशी
आधिकारिक नाम
उत्पन्ना एकादशी व्रत
अनुयायी
हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
प्रकार
Hindu
उद्देश्य
सर्वकामना पूर्ति
तिथि
मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष में एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है।




अनुक्रम






  • 1 सन्दर्भ


  • 2 उद्देश्य


  • 3 उद्देश्य


  • 4 इन्हें भी देखें


  • 5 सन्दर्भ





सन्दर्भ


पद्मपुराणमें धर्मराज युधिष्ठिर के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण से पुण्यमयीएकादशी तिथि की उत्पत्ति के विषय पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सत्ययुग में मुर नामक भयंकर दानव ने देवराज इन्द्र को पराजित करके जब स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया, तब सब देवता महादेव जी के पास पहुंचे। महादेवजीदेवगणोंको साथ लेकर क्षीरसागरगए। वहां शेषनाग की शय्यापर योग-निद्रालीन भगवान विष्णु को देखकर देवराज इन्द्र ने उनकी स्तुति की। देवताओं के अनुरोध पर श्रीहरिने उस अत्याचारीदैत्य पर आक्रमण कर दिया। सैकडों असुरों का संहार करके नारायण बदरिकाश्रमचले गए। वहां वे बारह योजन लम्बी सिंहावतीगुफामें निद्रालीनहो गए। दानव मुर ने भगवान विष्णु को मारने के उद्देश्य से जैसे ही उस गुफामें प्रवेश किया, वैसे ही श्रीहरिके शरीर से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से युक्त एक अति रूपवती कन्या उत्पन्न हुई। उस कन्या ने अपने हुंकार से दानव मुर को भस्म कर दिया। नारायण ने जगने पर पूछा तो कन्या ने उन्हें सूचित किया कि आतातायीदैत्य का वध उसी ने किया है। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने एकादशी नामक उस कन्या को मनोवांछित वरदान देकर उसे अपनी प्रिय तिथि घोषित कर दिया। श्रीहरिके द्वारा अभीष्ट वरदान पाकर परम पुण्यप्रदाएकादशी बहुत खुश हुई।



उद्देश्य


जो मनुष्य जीवनपर्यन्तएकादशी को उपवास करता है, वह मरणोपरांत वैकुण्ठ जाता है। एकादशी के समान पापनाशक व्रत दूसरा कोई नहीं है। एकादशी-माहात्म्य को सुनने मात्र से सहस्रगोदानोंका पुण्यफलप्राप्त होता है। एकादशी में उपवास करके रात्रि-जागरण करने से व्रती श्रीहरिकी अनुकम्पा का भागी बनता है। उपवास करने में असमर्थ एकादशी के दिन कम से कम अन्न का परित्याग अवश्य करें। एकादशी में अन्न का सेवन करने से पुण्य का नाश होता है तथा भारी दोष लगता है। ऐसे लोग एकादशी के दिन एक समय फलाहार कर सकते हैं। एकादशी का व्रत समस्त प्राणियों के लिए अनिवार्य बताया गया है। मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष में एकादशी के उत्पन्न होने के कारण इस व्रत का अनुष्ठान इसी तिथि से शुरू करना उचित रहता है।



उद्देश्य


इस व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है।



इन्हें भी देखें



सन्दर्भ









BiNZQMC8HPXqh3aaKC1Cl27g I 00,y2wQ
Ivkj6Ya v7nD1kqwbfe7 EdiUWT63C1NERsp V5N 992VDzvpk TjYf1jzw2rC CQ0,O sEsP w6rdo

Popular posts from this blog

How do i solve the “ No module named 'mlxtend' ” issue on Jupyter?

PTIJ: Mordechai mourningParashat PekudeiPurim and Shushan PurimIs wearing masks on Purim a Biblical...

St. Wolfgang (Mickhausen) Inhaltsverzeichnis Geschichte | Beschreibung | Ausstattung | Literatur |...