बेलापुर का किला...
सीएस1 मराठी-भाषा स्रोत (mr)महाराष्ट्र के किलेमुंबई के दर्शनीय स्थल
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बेलापुर दुर्ग | |
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बेलापुर दुर्ग | |
पूर्व नाम | बेलापुर किला |
सामान्य विवरण | |
प्रकार | दुर्ग |
स्थान | बेलापुर, नवी मुम्बई |
निर्देशांक | 19°00′20″N 73°01′42″E / 19.005524°N 73.028403°E / 19.005524; 73.028403 |
अवनती | 27 मी॰ (89 फीट) |
निर्माणकार्य शुरू | 1560 |
निर्माण सम्पन्न | 1570 |
ध्वस्त किया गया | 1817 |
स्वामित्व | CIDCO| |
योजना एवं निर्माण | |
वास्तुकार | शहज़ादा वाल जहां बहादुर |
बेलापुर दुर्ग (या बेलापुर किला) महाराष्ट्र के नवी मुम्बई में स्थित एक दुर्ग है। इस दुर्ग का निर्माण जंजीरा के सिद्दियों ने करवाया था। कालान्तर में इस पर पुर्तगाली साम्राज्य का और फ़िर मराठा साम्राज्य का आधिपत्य हो गया। १९वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां ब्रिटिश राज का अधिकार हुआ। ब्रिटिश लोगों के इस क्षेत्र पर अधिकार करने और फ़िर बम्बई प्रेज़िडेन्सी के विस्तार होने से इस दुर्ग का महत्त्व कम हो गया। और यह प्रयोग से बाहर हो गया।[1]
अनुक्रम
1 इतिहास:
2 आवागमन
3 चित्र दीर्घा
4 सन्दर्भ
5 इन्हें भी देखें
6 बाहरी कड़ियां
इतिहास:
१५६०-७० के दशक में जब पुर्तगालियों से पन्वेल क्रीक के निकट के इस क्षेत्र का अधिकार सिद्दियों ने छीन लिया और इस किले का निर्माण आरम्भ किया। १६८२ में पुर्तगालियों ने पुनः इसे वापस अधिकार किया और इस किले का निर्माण किया था, तो किले में ५ गढ़ और दीवारें थीं। यह किला ७५ फीट की ऊंचाई पर स्थित था और यहां २० बंदूकें थीं। मराठों ने ३१ मार्च, १७३७ को नारायण जोशी के नेतृत्व में किले को घेर लिया और २२ अप्रैल १९३७ को किले पर अधिकार कर लिया। पानीपत युद्ध के बाद, नानाजी (मराठाओं) ने बेलापुर के किले में सदाशिवभाऊ यहीं नवंबर १७७८ में पकड़ा था एवं पुनः बेलापुर किला जीता।[1] १७७९ में वडगांव के शिलालेखों के अनुसार, अंग्रेजों को हारकर किले को मराठों को वापस देना पड़ा। १२ अप्रैल १७८० को अंग्रेज़ कप्तान कैंबेल ने बेलापुर किला फिर जीता; किन्तु १७८२ को फिर हार गये और अंग्रेजों को किले को मराठों को फिर वापस देना था। २३ जून १८१७ को कप्तान चार्ल्स ग्रे ने किले को अन्ततः जीता और ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल हो गया।[1]
आवागमन
मुम्बई, ठाणे, डोम्बिवली और कल्याण से नगर बस सेवा नियमित रूप से बसें चलाता है। इनसे बेलापुर बस स्टॉप पर उतर कर किले के उद्यान के निकटवर्ती बुर्ज तक का पैदल रास्ता है। यहाम दक्षिण ओर एक टीले तक जाने व्बाली पक्की सड़क भी है, जहां से किले में जाने हेतु सीढ़ियां भी हैं। यही मार्ग आगे रेतीबन्दर तक जाता है।[1]
चित्र दीर्घा
सन्दर्भ
↑ अआइई "बेलापूरचा किल्ला" (मराठी में). ट्रेक क्षितिज..mw-parser-output cite.citation{font-style:inherit}.mw-parser-output q{quotes:"""""""'""'"}.mw-parser-output code.cs1-code{color:inherit;background:inherit;border:inherit;padding:inherit}.mw-parser-output .cs1-lock-free a{background:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/6/65/Lock-green.svg/9px-Lock-green.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center}.mw-parser-output .cs1-lock-limited a,.mw-parser-output .cs1-lock-registration a{background:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d6/Lock-gray-alt-2.svg/9px-Lock-gray-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center}.mw-parser-output .cs1-lock-subscription a{background:url("//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/a/aa/Lock-red-alt-2.svg/9px-Lock-red-alt-2.svg.png")no-repeat;background-position:right .1em center}.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registration{color:#555}.mw-parser-output .cs1-subscription span,.mw-parser-output .cs1-registration span{border-bottom:1px dotted;cursor:help}.mw-parser-output .cs1-hidden-error{display:none;font-size:100%}.mw-parser-output .cs1-visible-error{font-size:100%}.mw-parser-output .cs1-subscription,.mw-parser-output .cs1-registration,.mw-parser-output .cs1-format{font-size:95%}.mw-parser-output .cs1-kern-left,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-left{padding-left:0.2em}.mw-parser-output .cs1-kern-right,.mw-parser-output .cs1-kern-wl-right{padding-right:0.2em}
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियां
विकिमीडिया कॉमन्स पर बेलापुर का किला से सम्बन्धित मीडिया है। |